
वस्तु एवं सेवा कर एक ऐसी प्रणाली है जिसमें विभिन्न प्रकार के करों से निजात पा कर सभी राज्यों में एक समान कर प्रणाली लागू करना है| इससे ग्राहकों को अंतिम स्तर पर ही भुगतान करना होगा तथा इससे घरेलू व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाजार एवं निवेश हेतु प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण के निर्माण में सहायता मिलेगी|
भारत सरकार द्वारा सन 1991 में समान कर प्रणाली लागू करने की चर्चा की गई थी जिससे वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य वृद्धि पर रोक लग सके. प्रतिस्पर्धात्मक बाजार के कारण राजस्व वृद्धि हो सके | इस संदर्भ में मूल्य संवर्धित कर की अगली कड़ी के रुप में "वस्तु एवं सेवा कर" विधेयक को लाने की आवश्यकता महसूस की गई | भारत सरकार ने इसे 1 जुलाई 2017 से पूरे देश में लागू करने का साहसिक व प्रशंसनीय निर्णय लिया है|
वस्तु एवं सेवा कर की पृष्ठभूमि पहली बार 2006-07 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा पुर:स्थापित की गई पर उस समय यह राज्यों की सर्वसम्मति, वह कमियों की वजह से पारित ना हो सका| वर्ष 2014 में निवर्तमान सरकार ने इसे संशोधित कर एक नए अवतार में विधेयक को राज्यों के समक्ष रखा जिसमें 5 वर्षीय मुआवजे की बात कही गई प्रथम 3 वर्ष 100%, चौथे वर्ष 75% व 5 वें वर्ष में 50% मुआवजे की बात रखी गई|
भारत में कर वसूली का अधिकार राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार दोनों के पास है अतः जीएसटी को तीन भागों में विभाजित किया जाता है: स्टेट जीएसटी, सेंट्रल जीएसटी एवं इंटीग्रेटेड जीएसटी|
जीएसटी के आने से विभिन्न प्रकार के लाभ हैं जैसे:- टैक्स चोरी में कमी आएगी, कम विकसित राज्य को अधिक आय प्राप्त होगा छोटे व्यवसाय को भी सपोर्ट मिलेगा और क्षेत्रीय पक्षपात भी खत्म होंगे| इससे व्यापार में आसानी होगी तथा सरकार के आयकर में भी वृद्धि होगी| जीएसटी रेट 0%, 5% 12% 18% 28% वस्तुओं एवं सेवाओं के आधार पर विभाजित किया गया है
कर प्रणाली किसी राष्ट्र की आर्थिक रीढ़ होती है| यह जितना ही मजबूत होगी, आर्थिक ढांचा उतना ही सुंदर होगा| वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों को देखकर सकारात्मक व उत्साहजनक परिणाम परिलक्षित होते हैं| भारत जैसे उभरते शक्ति के लिए इस प्रकार की आर्थिक सुधार अनिवार्य है|
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ReplyDeleteI want long essay more than 700 words it's very short😢
ReplyDeletePlzz send me more than 700 words
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